सुंदर कांड पाठ से होते है सब दुःख दर्द दूर

रामचरितमानस के सुंदरकांड का महत्व!!!!!!!!!


* सकल सुमंगल दायक रघुनायक गुन गान।
सादर सुनहिं ते तरहिं भव सिंधु बिना जलजान॥


भावार्थ:-श्री रघुनाथजी का गुणगान संपूर्ण सुंदर मंगलों का देने वाला है। जो इसे आदर सहित सुनेंगे, वे बिना किसी जहाज (अन्य साधन) के ही भवसागर को तर जाएँगे॥


हनुमानजी की सफलता के लिए सुंदरकाण्ड को याद किया जाता है, श्री रामचरित मानस के इस पांचवें अध्याय को लेकर लोग अक्सर चर्चा करते हैं कि इस अध्याय का नाम सुंदरकाण्ड ही क्यों रखा गया है? श्री रामचरित मानस में कुल 7 काण्ड (अध्याय) हैं, सुंदरकाण्ड के अतिरिक्त सभी अध्यायों के नाम स्थान या स्थितियों के आधार पर रखे गए हैं। 


बाललीला का बालकाण्ड, अयोध्या की घटनाओं का अयोध्या काण्ड, जंगल के जीवन का अरण्य काण्ड, किष्किंधा राज्य के कारण किष्किंधा काण्ड, लंका के युद्ध की चर्चा का लंका काण्ड और जीवन से जुड़े प्रश्नों के उत्तर उत्तरकाण्ड में दिए गए हैं।


हनुमानजी, सीताजी की खोज में लंका गए थे और लंका त्रिकुटाचल पर्वत पर बसी हुई थी, त्रिकुटाचल पर्वत यानी यहां 3 पर्वत थे, पहला सुबैल पर्वत- जहां के मैदान में युद्ध हुआ था, दूसरा नील पर्वत- जहां राक्षसों के महल बसे हुए थे, और तीसरे पर्वत का नाम है- सुंदर पर्वत, जहां अशोक वाटिका निर्मित थी। 


इसी अशोक वाटिका में हनुमानजी और सीताजी की भेंट हुई थी। इस काण्ड की यही सबसे प्रमुख घटना थी, इसलिए इसका नाम सुंदरकाण्ड रखा गया है, वास्तव में श्री रामचरित मानस के सुंदरकांड की कथा सबसे अलग है, संपूर्ण श्री रामचरित मानस भगवान श्रीराम के गुणों और उनके पुरुषार्थ को दर्शाती है। 


लेकिन सुंदरकांड एकमात्र ऐसा अध्याय है, जो श्रीराम के भक्त हनुमान की विजय का कांड है, मनोवैज्ञानिक नजरिए से देखा जाए तो यह आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति बढ़ाने वाला कांड है, सुंदरकांड के पाठ से व्यक्ति को मानसिक शक्ति प्राप्त होती है, किसी भी कार्य को पूर्ण करने के लिए आत्मविश्वास मिलता है।


हनुमानजी जो कि वानर थे, वे समुद्र को लांघकर लंका पहुंच गए और वहां सीता की खोज की, लंका को जलाया और सीता का संदेश लेकर श्रीराम के पास लौट आयें, यह एक भक्त की जीत का कांड है, जो अपनी इच्छाशक्ति के बल पर इतना बड़ा चमत्कार कर सकता है। 


सुंदरकांड में जीवन की सफलता के महत्वपूर्ण सूत्र भी दिए गयें है, इसलिए पूरी रामायण में सुंदरकांड को सबसे श्रेष्ठ माना जाता है, क्योंकि यह व्यक्ति में आत्मविश्वास बढ़ाता है, इसी वजह से सुंदरकांड का पाठ विशेष रूप से किया जाता है, सुंदरकांड के पाठ से मिलता है धार्मिक लाभ, हनुमानजी की पूजा सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली मानी गयीं है।


बजरंग बली बहुत जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता हैं, शास्त्रों में इनकी कृपा पाने के कई उपाय बताए गयें हैं, इन्हीं उपायों में से एक उपाय सुंदरकांड का पाठ करना है, सुंदरकांड के पाठ से हनुमानजी के साथ ही श्रीराम की भी विशेष कृपा प्राप्त होती है, किसी भी प्रकार की परेशानी हो, सुंदरकांड के पाठ से दूर हो जाती है, यह एक श्रेष्ठ और सबसे सरल उपाय है, इसी वजह से काफी लोग सुंदरकांड का पाठ नियमित रूप करते हैं।


माना जाता है कि सुंदरकाण्ड के पाठ से बजरंग बली की कृपा बहुत ही जल्द प्राप्त हो जाती है, जो लोग नियमित रूप से इसका पाठ करते हैं, उनके सभी दुख दूर हो जाते हैं, इस काण्ड में हनुमानजी ने अपनी बुद्धि और बल से सीता की खोज की है, इसी वजह से सुंदरकाण्ड को हनुमानजी की सफलता के लिए याद किया जाता है।


जय श्री रामजी! 
जय श्री हनुमानजी! 


🌱 संग्रह mangat राम जलोत्रा ji


🌷जय सच्चिदानंद जी🌷