*ऐसी कहानी 💞*
*जो आपके हृदय को छू जाये..👇🏼*
🔆 आज आपको एक ऐसे महान योगी की बात सुनाने जा रहा हु, जिसका नाम भरत था।
हनुमानजी जब संजीवनी बूटी वाला पहाड़ लेकर लौटते है तो प्रभु से कहते है- हे प्रभु, आपने मुझे संजीवनी बूटी लेने नहीं भेजा था बल्कि मेरा भ्रम दूर करने के लिए भेजा था। और आज मेरा ये भ्रम टूट गया कि मैं ही राम नाम का जप करने वाला सबसे बड़ा योगी हूँ।
राम जी बोले - कैसे ?
हनुमान जी बोले - वास्तव में मुझ से भी बड़े योगी तो भरत जी है। मै जब संजीवनी लेकर लौट रहा था तब मुझे भरतजी ने बाण मारा और मै गिरा तो भरतजी ने न तो संजीवनी मंगाई और न ही कोई वैध बुलाया। कितना भरोसा है उन्हें आपके ऊपर।
उन्होने कहा कि यदि मन, वचन और शरीर से श्री रामजी के चरण कमलों में मेरा निष्कपट प्रेम हो और यदि रघुनाथजी मुझ पर प्रसन्न हो तो यह वानरराज थकावट और पीड़ा से रहित होकर स्वस्थ हो जाए। उनके इतना कहते ही मै उठ बैठा। सच कितना भरोसा है भरतजी को आपके ऊपर।
*🌸 शिक्षा :-*
हम भगवान का नाम तो लेते है पर उन पर भरोसा नही करते। 'भरोसा करते है अपने पुत्रों एवं धन पर' कि बुढ़ापे में बेटा ही सेवा करेगा, धन ही साथ देगा। उस समय हम भूल जाते है कि जिस भगवान का नाम हम जप रहे है वे हैं परन्तु हम भरोसा नहीं करते। बेटा सेवा करे न करे पर भरोसा हम उसी पर करते है!!
*दूसरी बात, प्रभु !*
बाण लगते ही मै गिरा। पर्वत नहीं गिरा क्योकि पर्वत तो आप उठाये हुए थे और मै अभिमान कर रहा था कि मै उठाये हुए हूँ। मेरा दूसरा अभिमान भी टूट गया।
*🌸 शिक्षा :-*
हमारी भी यही सोच है कि अपनी गृहस्थी का बोझ को हम ही उठाये हुए है। जबकि सत्य यह है कि हमारे नही रहने पर भी हमारा परिवार चलता ही है।
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