"प्रभावी वक्ता कैसे बने कार्यशाला"*   के ऑनलाइन सत्र का *समापन

दिनांक 27  अप्रैल 2020 को भारत विकास परिषद , हस्तिनापुर प्रान्त  द्वारा   *"प्रभावी वक्ता कैसे बने कार्यशाला"*   के ऑनलाइन सत्र का *समापन किया गया* ।


इस कार्यशाला के समापन  समारोह में  भा.वि.प. के राष्ट्रीय महामंत्री श्री श्याम शर्मा जी , राष्ट्रीय अतिरिक्त मंत्री श्री तरुण जी एवं राष्ट्रीय मंत्री श्री अनुराग दुबलिश जी एवं प्रांतीय अध्यक्ष श्री एस.एन. बंसल प्रांतीय महासचिव श्री वी.के.सिंघल जी ,प्रांतीय कोषाध्यक्ष श्री शरत चंद्रा जी एवं प्रांतीय महिला संयोजिका श्रीमती अलका जी एवं  सभी प्रांतीय एवं क्षेत्रीय पदाधिकारियो का सानिध्य प्राप्त हुआ |  कार्यक्रम 5 दिन तक चला  ।    कार्यक्रम में 40 लोगो ने ऑनलाइन माध्यम से प्रतिभागिय किया । कार्यक्रम में मुख्य वक्ता श्री अरुण खंडेलवाल, डॉ आर  के सिंह,   इ० अनुराग सिंघल, व् श्री रोहन महाजन रहे। प्रवक्ता श्री मनोज सेठी के अनुसार अंतिम सत्र को परिषद् के राष्ट्रिय उपाध्यक्ष सी ए महेश गुप्ता जी व् श्री सुनील खेडा  जी ने भी शुआशीष प्रदान किया।मुख्य वक्ता  श्री अरुण खंडेलवाल के अनुसार एक सफल नेतृत्व के लिए प्रभावी वक्ता होना अत्यंत आवश्यक है।  वक्ता को कभी भी सम्बोधन का प्रारम्भ दीन भावना से नहीं करना चाहिए। वक्ता में आत्म  विश्वास होना अत्यंत आवश्यक है जोकि निरंतर अभ्यास  से आता है। वक्ता को अपने शब्दकोष को हिंदी तथा संस्कृत के नवीन शब्दों से परिष्कृत करना होगा। सम्बोधन के प्रारम्भ में विषयवस्तु की भूमिका आंकड़ों के साथ रखनी होती है। मध्य में किसी कहानी के माध्यम से यह बताना चाहिए कि  विषय वस्तु का मूल उद्देश्य क्या है तथा अंत में अपने सुझाव तथा इसका समाज पर क्या प्रभाव पड़ेगा बताना चाहिए। किसी भी परिस्थिति में वक्ता को सीमित शब्दों का प्रयोग करते हुए  विषयवस्तु से इतर नहीं बोलना चाहिए।    वक्ता डॉ आर के सिंह के अनुसार वक्ता का कार्य निमंत्रण पात्र मिलते ही प्रारम्भ हो जाता है। कौन मुख्य अतीथि है, विषयवस्तु क्या है व् वहां श्रोता किस प्रकार के होंगे इस पर भी मनन होना चाहिए। कार्यशाळा संचालक मोटिवेशन स्पीकर इ० अनुराग सिंघल के अनुसार वक्ता के शारीरिक  हाव भाव विषयवस्तु के उतार चढ़ाव से समायोजित होने चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति का स्वधर्म होता है अर्थात वह किसी भी कार्य में पारंगत हो सकता है।  यह आवश्यक नहीं कि प्रत्येक व्यक्ति प्रत्येक कार्य में पारंगत हो। किसी भी परिस्थिति में हम वाणी को प्रतिकूल न होने दे। सम्बोधित करते हुए व्यक्तिगत शब्दावली के प्रयोग  से बचना चाहिए। नेतृत्व क्षमता विकसित करने के लिए समय प्रबंधन अति आवश्यक है मानवीय समबन्धो में वृद्धि करनी होगी। नेतृत्व में निर्णय लेने की क्षमता होनी चाहिए। विषयवस्तु को स्मरण रखने के लिए विषय को पॉइंट्स के रूप में नोट करना होगा। कार्यशाळा में सभी प्रतिभागियों को गृह कार्य के रूप में विभिन्न विषयों पर अपना  वीडियो भी बनाने को दिया गया। तथा सत्र के अंत में उन्होंने क्या सीखा इस विषय पर विचार रखने को काया गया।  अंत में श्री अनुराग दुबलिश ने  सत्र का विधिवत सम्मपन की घोषणा की तथा सभी वक्ताओं को धन्यवाद दिया। प्रतिभागियों ने भी कार्यशाळा की मुक्त कंठ से प्रशंसा की तथा कोरोना लोक डाउन  के चलते समय के इस रूप में सदुपयोग पर हर्ष व्यक्त किया।