कोरोना को मजाक में लेते हुए,
Lockdown में बाहर निकलने वालों का हश्र...🤷♂
जिसने भी ये मेसेज लिखा. बात सही हे. अगर काम चलता हे तो चला लें मगर घर से बाहर मत जायें
एक दिन...................
अचानक बुख़ार आता है!
गले में दर्द होता है!
साँस लेने में कष्ट होता है!
Covid टेस्ट किया जाता है!
3 दिन तनाव में बीतते हैं...🤔
अब टेस्ट रिपोर्ट +ve आने पर--
रिपोर्ट नगर पालिका जाती है🙇
रिपोर्ट से हॉस्पिटल तय होता है🤦♂️
फिर एम्बुलेंस कॉलोनी में आती है💁♂️
कॉलोनीवासी खिड़की से झाँक कर व्यक्ति को देखते हैं
कुछ एक की सदिच्छा उसके साथ है😌
कुछ मन ही मन हँस रहे होते हैं💁♀️
एम्बुलेंस वाले उपयोग के कपड़े रखने को कहते हैं...🙇
बेचारे घरवालेव्यक्ति को जीभर कर देखते हैं😓
तुम्हारी आँखों से आँसू बोल रहे होते हैं...😢
तभी... *"चलो जल्दी बैठो"* आवाज़ दी जाती है,
एम्बुलेंस का दरवाजा बन्द...
सायरन बजाते रवानगी...
फिर कॉलोनी सील कर दी जाती है...🤷♂
14 दिन पेट के बल सोने को कहा जाता है...
दो वक्त का जीवन योग्य खाना मिलता है...🙇
Tv, mobile सब अदृश्य हो जाते हैं...
सामने की दीवार पर अतीत,
और भविष्य के दृश्य दिखने लगते हैं...
अब
अगर ठीक हो गए... तो ठीक...
वो भी जब 3 टेस्ट रिपोर्ट नेगेटिव आ जाएँ...
तो घर वापसी...
लेकिन
इलाज के दौरान यदि मरीज के साथ कोई अनहोनी हो गई😢
तो...शरीर को प्लास्टिक में रैप करके सीधे शवदाहगृह...
अपनों को *अंतिमदर्शन* भी नहीं...😱
कोई *अंत्येष्टि क्रिया* भी नहीं...🤷♂
सिर्फ
परिजनों को एक डेथ सर्टिफिकेट💁♂️
और....खेल खत्म🙆♂️🤷♂😒
बेचारा चला गया... अच्छा आदमी था🤔😥😰
इसीलिए,
बेवजह बाहर मत निकलिए...
घर में सुरक्षित रहिए...
'बाह्यजगत का मोह' और 'हर बात को हल्के में, मजाक में लेने' की आदतें त्यागिए...
आपका जीवन अनमोल है...🤷♂
आपके लिए न सही पर अपने परिवार से पूछिए, आप उनका सबकुछ हैं, सबकुछ...🙏
🙏🙏🙏